Importance of Donation- Indian culture

 

Updesh -Dharam katatha 



*एक गांव में धर्मदास नामक एक व्यक्ति रहता था। * 

*बातें तो बड़ी ही अच्छी- अच्छी करता था पर था एकदम कंजूस। * 

*कंजूस भी ऐसा वैसा नहीं बिल्कुल मक्खीचूस। * 

 

*चाय की बात तो छोड़ों वह किसी को पानी तक के लिए नहीं पूछता था। *

*साधु-संतों और भिखारियों को देखकर तो उसके प्राण ही सूख जाते थे कि कहीं कोई कुछ मांग न बैठे। *

 

*एक दिन उसके दरवाजे पर एक महात्मा आये और धर्मदास से सिर्फ एक रोटी मांगी। *

 

*पहले तो धर्मदास ने महात्मा को कुछ भी देने से मना कर दिया,*

*लेकिन तब वह वहीं खड़ा रहा तो उसे आधी रोटी देने लगा। आधी रोटी देखकर महात्मा ने कहा कि अब तो मैं आधी रोटी नहीं पेट भरकर खाना खाऊंगा। * 

 

*इस पर धर्मदास ने कहा कि अब वह कुछ नहीं देगा। *

.

*महात्मा रातभर चुपचाप भूखा-प्यासा धर्मदास के दरवाजे पर खड़ा रहा। *

 

*सुबह जब धर्मदास ने महात्मा को अपने दरवाजे पर खड़ा देखा तो सोचा कि अगर मैंने इसे भरपेट खाना नहीं खिलाया और यह भूख-प्यास से यहीं पर मर गया तो मेरी बदनामी होगी। *

*बिना कारण साधु की हत्या का दोष लगेगा। *

 

*धर्मदास ने महात्मा से कहा कि बाबा तुम भी क्या याद करोगे, आओ पेट भरकर खाना खा लो। *

 

*महात्माजी भी कोई ऐसे वैसे नहीं थे। * 

 

*धर्मदास की बात सुनकर महात्मा ने कहा कि अब मुझे खाना नहीं खाना, मुझे तो एक कुआं खुदवा दो। *

.

*‘लो अब कुआं बीच में कहां से आ गया’ धर्मदास ने साधु महाराज से कहा। * 

*रामदयाल ने कुआं खुदवाने से साफ मना कर दिया। * 

 

*साधु महाराज अगले दिन फिर रातभर चुपचाप भूखा- प्यासा धर्मदास के दरवाजे पर खड़ा रहा। *

 

*अगले दिन सुबह भी जब धर्मदास ने साधु महात्मा को भूखा-प्यासा अपने दरवाजे पर ही खड़ा पाया तो सोचा कि अगर मैने कुआं नहीं खुदवाया तो यह महात्मा इस बार जरूर भूखा-प्यास मर जायेगा और मेरी बदनामी होगी। *

 

*धर्मदास ने काफी सोच- विचार किया और महात्मा से कहा कि साधु बाबा मैं तुम्हारे लिए एक कुआं खुदवा देता हूं और इससे आगे अब कुछ मत बोलना। *

 

*‘नहीं, एक नहीं अब तो दो कुएं खुदवाने पड़ेंगे’*,

 

*महात्मा की फरमाइशें बढ़ती ही जा रही थीं। *

 

*धर्मदास कंजूस जरूर था बेवकूफ नहीं। उसने सोचा कि अगर मैंने दो कुएं खुदवाने से मनाकर दिया तो यह चार कुएं खुदवाने की बात करने लगेगा* 

 

*इसलिए रामदयाल ने चुपचाप दो कुएं खुदवाने में ही अपनी भलाई समझी। * 

 

*कुएं खुदकर तैयार हुए तो उनमें पानी भरने लगा। जब कुओं में पानी भर गया तो महात्मा ने धर्मदास से कहा,*

 

*‘दो कुओं में से एक कुआं मैं तुम्हें देता हूं और एक अपने पास रख लेता हूं। * 

 

*मैं कुछ दिनों के लिए कहीं जा रहा हूं, लेकिन ध्यान रहे मेरे कुएं में से तुम्हें एक बूंद पानी भी नहीं निकालना है । साथ ही अपने कुएं में से सब गांव वालों को रोज पानी निकालने देना है। * 

. *मैं वापस आकर अपने कुएं से पानी पीकर प्यास बुझाऊंगा। ’*

.

*धर्मदास ने महात्मा वाले कुएं के मुंह पर एक मजबूत ढक्कन लगवा दिया। * 

*सब गांव वाले रोज धर्मदास वाले कुएं से पानी भरने लगे। * 

*लोग खूब पानी निकालते पर कुएं में पानी कम न होता। *

*शुध्द-शीतल जल पाकर गांव वाले निहाल हो गये थे और महात्मा जी का गुणगान करते न थकते थे। *

.

*एक वर्ष के बाद महात्मा पुनः उस गांव में आये और धर्मदास से बोले कि उसका कुआं खोल दिया जाये। * 

*धर्मदास ने कुएं का ढक्कन हटवा दिया। * 

 

*लोग लोग यह देखकर हैरान रह गये कि कुएं में एक बूंद भी पानी नहीं था। *

*महात्मा ने कहा, ‘कुएं से कितना भी पानी क्यों न निकाला जाए वह कभी खत्म नहीं होता अपितु बढ़ता जाता है। *

 

*कुएं का पानी न निकालने पर कुआं सूख जाता है इसका स्पष्ट प्रमाण तुम्हारे सामने है और यदि किसी कारण से कुएं का पानी न निकालने पर पानी नहीं भी सुखेगा तो वह सड़ अवश्य जायेगा और किसी काम में नहीं आयेगा। ’*

*महात्मा ने आगे कहा, ‘कुएं के पानी की तरह ही धन-दौलत की भी तीन गतियां होती हैं*

.

*उपयोग, नाश अथवा दुरुपयोग। * 

 

*धन-दौलत का जितना इस्तेमाल करोगे वह उतना ही बढ़ती जायेगी। धन-दौलत का इस्तेमाल न करने पर कुएं के पानी की वह धन-दौलत निरर्थक पड़ी रहेगी। उसका उपयोग संभव नहीं रहेगा या अन्य कोई उसका दुरुपयोग कर सकता है। * 

 

*अतः अर्जित धन-दौलत का समय रहते सदुपयोग करना अनिवार्य है। ’*

 

*‘ज्ञान की भी कमोबेश यही स्थिति होती है। *

*धन-दौलत से दूसरों की सहायता करने की तरह ही ज्ञान भी बांटते चलो। * 

*हमारा समाज जितना अधिक ज्ञानवान,जितना अधिक शिक्षित व सुसंस्कृत होगा उतनी ही देश में सुख- शांति और समृध्दि आयेगी। *

 *फिर ज्ञान बांटने वाले अथवा शिक्षा का प्रचार- प्रसार करने वाले का भी कुएं के जल की तरह ही कुछ नहीं घटता अपितु बढ़ता ही है..!!’ *


by Suunil Sinngh- Chinmay 

 

         

 

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