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Showing posts from September, 2023

महर्षि पिप्पलाद

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  श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा।जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।   एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा- नारद- बालक तुम कौन हो ? बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ । नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं ? बालक- यही तो मैं जानना चाहता हूँ ।    तब नारद ने ध्यान धर देखा।नारद ने आश्चर्यचकित हो बताया कि  हे बालक ! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की वय में ही हो ग

चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य

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  #भारत में #चक्रवर्ती सम्राट उसे कहा जाता है जिसका संपूर्ण भारत में राज रहा है। #ऋषभदेव के पुत्र राजा भरत पहले चक्रवर्ती सम्राट थे,जिनके नाम पर ही इस अजनाभखंड का नाम #भारत पड़ा। परवर्तीकाल में शकुंतला एवं दुष्यंत के भरत नाम के पुत्र हुए। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य भी चक्रवर्ती सम्राट थे। विक्रमादित्य का नाम विक्रम सेन था। विक्रम वेताल और सिंहासन बत्तीसी की कहानियां महान सम्राट विक्रमादित्य से ही जुड़ी हुई है। सम्राट विक्रमादित्य गर्दभिल्ल वंश के शासक थे इनके पिता का नाम राजा गर्दभिल्ल था। सम्राट विक्रमादित्य ने शको को पराजित किया था। उनके पराक्रम को देखकर ही उन्हें महान सम्राट कहा गया और उनके नाम की उपाधि कुल 14 भारतीय राजाओं को दी गई । "विक्रमादित्य" की उपाधि भारतीय इतिहास में बाद के कई अन्य राजाओं ने प्राप्त की थी, जिनमें गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय और सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य(जो हेमु के नाम से प्रसिद्ध थे)  उल्लेखनीय हैं। राजा विक्रमादित्य नाम, 'विक्रम' और 'आदित्य' के समास से बना है जिसका अर्थ 'पराक्रम का सूर्य' या 'सूर्य के समान प

योगेश्वर श्री कृष्ण

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                                          योगेश्वर श्री कृष्ण   धर्म संस्थापक योगेश्वर श्री कृष्ण के जन्म दिवस की आप सभी महानुभावों को हार्दिक शुभकामनाएं। आओ जाने और समझे अपने इस महान पूर्वज के जीवन चरित्र को।   # भारतीय # इतिहास # में # श्रीकृष्ण के सदृश्य कोई दूसरा व्यक्ति इतना महान नही हुआ जिसे योगेश्वर पुकारा जाता हो। श्री कृष्ण के जन्म के समय भारत खण्ड - खण्ड में विभक्त था। ' गृहे गृहे हि राजान : स्वस्य स्वस्य प्रियं करा :' अर्थात घर घर राजा हैं और अपने ही हित में लगे हुए हैं। सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने वाला कोई व्यक्ति नहीं था। कंस , जरासन्ध , शिशुपाल , दुर्योधन आदि जैसे दुराचारी व विलासियों का वर्चस्व निरन्तर बढ़ रहा था। राज्य के दैवीय सिद्धान्त और प्रतिज्ञा से भीष्म जैसे योद्धा तक बंधे हुए थे। श्री कृष्ण के जन्म से पहले ही उनके माता - पिता मथुरा के राजा कंस के कारावास में क़ैदी थे। कंस ने उनके सात भाइयों की हत्

नालंदा – विश्व का पहला विश्वविद्यालय

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  ज्ञान की भूमि भारत है, जहां अध्यात्म की उच्च चेतना का प्रकाश निरंतर पूरे विश्व को प्रकाशित करता रहा। जिस तरह से विदेशी आक्रांताओं ने उस ज्ञान के उच्च हिमालय को नष्ट करने का काम किया, उससे पूरा भारत हजारों साल पीछे छूट गया। जब सारा विश्व गुफाओं और कंदराओं में रहता था, तब भारत में ज्ञान-विज्ञान पर चर्चा होती थी। यहाँ भारत में लोग सितारों, नक्षत्रों, चंद्रमा, सूर्य पर चर्चा करते थे, भूगोल की सभी शैलियों का अध्ययन किया जाता था। भारत हमेशा मानव जाति के लिए ज्ञान और विज्ञान की खोज में   था। इन आक्रमणकारियों ने न केवल भारत को नष्ट किया बल्कि पूरी मानव जाति की आने वाली पीढ़ियों को अंधेरी रात में जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया। नालंदा विश्वविद्यालय के टूटे अवशेष इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि किस तरह विदेशी आक्रांताओं ने भारत को लूटा, किस तरह उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए अंधकार के युग को बढ़ाया।   आइए जानते हैं विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय नालंदा के बारे में और इसके बारे में जानकर हमें जरूर गर्व होगा। नालंदा – विश्व का पहला विश्वविद्यालय नालंदा एक प्रशंसित महाविहार था,

NALANDA – THE FIRST UNIVERSITY OF WORLD

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  Bharata the land of knowledge, where the light of the high consciousness of spirituality constantly illuminated the whole world. The way foreign invaders did the work of destroying the high Himalayas of that knowledge, This lead the entire Bharata thousands of years was left behind. When the whole world was lives in caves and kandaras, then there was a discussion on knowledge and science in Bharat. Here in Bharat people use to discuss over Stars, Nakshatra, Moon ,Sun and all the genres of geography were studied. Bharata was always in search of knowledge and science for mankind. These invaders not only destroyed Bharat but also forced the coming generations of the entire mankind to live a life of darkness. The broken remains of Nalanda University are a living example of how foreign invaders looted Bharat, how they extended the era of darkness for the coming generations. Let us know about the world-famous university Nalanda and we will definitely be proud to know about it. NA